कुछ ऐसे किसान जो अपनी लगन और प्रगतिशील सोच से कृषक समाजमें मिशाल बने
टमाटर और सूरजमुखी का अंतर फसल -
टमाटर और सूरजमुखी का अंतर फसल -
श्री महेन्द्रू साहू
Village- Amagawa, Post- Peri, P.S- Simariya,
District- Chatra, State- Jharkhand
जैसा हम जानते है, टमाटर में ज्यादा फल लगने से उसकी शाखाए उसे सहारा नहीं दे पाती है और इससे यह शाखाए टूटने लग जाती है. अगर बाहर से कोई सहारा नहीं दिया जाये तो लगभग ४०% फसल इसी तरह खराब हो जाता है. आम तौर पे लकरी या बांस के टुकरो का इस्तेमाल सहारा देने के लिए किया जाता है. झारखण्ड के श्री महेन्द्रू साहू ने एक अभिनव तरीका निकला है जिसमे वोह सूरजमुखी के पौधो को सहारा देने के लिए इस्तेमाल करते है. इस प्रक्रिया में सूरजमुखी का बीज, टमाटर स्थानांतरित होने के 20 दिन बाद जमीन में रोपा जाता है. टमाटर लगभग 55-60 दिनों में फल देना सुरु करता है और उस समय तक सूरज मुखी का पौधा उसे सहारा देने ले लायक हो जाता है. इस तरह से फसल लगाने से टमाटर के साथ साथ सूरजमुखी से भी उपरी आमदनी हो जाता है.
कीटरोधी चिपचिपा घड़ा
श्री लक्ष्मीधर मोहन्ता
Village- Basudevpur, Block- Sadar
District - Keonjhar, State- Orissa.
श्री मोहन्ता काफी छोटे किसान है और अपनी खेतिहर जमीन पर पिछले 30 सालो से धान , और सब्जियों की खेती करते हैं. इनका आविष्कार काफी उपयोगी और सर्वसुलभ है इन्होने एक चिपचिपे घड़े की खोज की है जो स्थानीय रूप से आसानी से बनाया जा सकता है इसके लिए इन्होने एक घड़ा लिया और उसके बाहरी सतह को पीले चमकीले रंग से रंग दिया इसके बाद घड़े की बाहरी सतह पर महुआ का तेल (Madhuca Indica) लगा दिया जो काफी चिपचिपा होता है. प्रति हेक्टेयर ऐसे ही 20 घड़ो की आवश्यकता पड़ती है जिसे लकड़ी की चड्डी की सहायता से खेत में लगा दिया जाता है. फलस्वरूप कीड़े इस घड़े की और आकर्षित होते है और महुए के तेल की वजह से उसमे चिपक जाते है. यह विधि काफी सस्ती और टिकाऊ है जिसकी मदद से कई वाइरस जनित रोगों जिनका प्रसार कीड़े-मकोड़ों के जरिये होता है जैसे little leaf in brinjal, leaf curl in tomato, YVMV in okra and mosaic in cucurbits पर नियंत्रण पाया जा सकता है. दूसरे हाथ ये बाजार में उपलब्ध ऐसे ही महंगी traps का सस्ता विकल्प भी है
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