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बुधवार, 23 जनवरी 2013

आ गया अधिक प्रोटीन वाला आलू....


भारतीय वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी जीन संवर्धित प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी हासिल की है, जिसमें साठ प्रतिशत अधिक प्रोटीन होगा। खास बात यह भी है कि इस प्रजाति में सेहत के लिए फायदेमंद समझे जानेवाले अमीनो एसिड, लाइसिन, टायरोसिन व सल्‍फर भी अधिक मात्रा में हैं, जो आम तौर पर आलू में बहुत सीमित होते हैं।

इस खोज को अंजाम देनेवाले नेशनल इंस्‍टीट्यूट फॉर प्‍लांट जीनोम रिसर्च की शोध टीम की प्रमुख शुभ्रा चक्रवर्ती का कहना है कि विकासशील और विकसित देशों में आलू मुख्य भोजन में शुमार है और इस खोज से काफी अधिक संख्या में लोगों को फायदा होगा। इससे आलू से बने पकवानों को स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद बनाया जा सकेगा। इसके अलावा वह इस खोज को जैव इंजीनियरिंग के लिए भी फायदेमंद मानती हैं। उनका कहना है कि इससे अगली पीढ़ी की उन्नत प्रजातियों को खोजने के लिए वैज्ञानिक प्रेरित होंगे।

विज्ञान पत्रिका "प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ सांइस" में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आलू की अन्य किस्मों के बेहतरीन गुणों से भरपूर इस किस्‍म को लोग हाथों-हाथ लेंगे। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रजाति में संवर्धित गुणसूत्रों वाली आलू की सबसे प्रचलित प्रजाति अमरनाथ के गुणसूत्रों को भी मिलाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार दो साल तक चले इस शोध में आलू की सात किस्मों में संवर्धित गुणसूत्र वाले जीन "अमरंथ एल्बुमिन 1 (AmA1)" को मिलाने के बाद नयी प्रजाति को तैयार किया गया है। प्रयोग में पाया गया कि इस जीन के मिश्रण से सातों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा 35 से 60 प्रतिशत तक बढ़ गयी। इसके अलावा इसकी पैदावार भी अन्य किस्मों की तुलना में प्रति हेक्टेएर 15 से 20 प्रतिशत तक ज्यादा है।

इसके उपयोग से होनेवाले नुकसान के परीक्षण में भी यह प्रजाति पास हो गयी। चूहों और खरगोशों पर किए गए परीक्षण में पाया गया कि इसके खाने से एलर्जी या किसी अन्य तरह का जहरीला असर नहीं हुआ है। रिपोर्ट में इस किस्म को हर लिहाज से फायदेमंद बताते हुए व्यापक पैमाने पर इसे पसंद किए जाने का विश्वास व्यक्त किया गया है। हालांकि अभी इसे उपयोग के लिए बाजार में उतारे जाने से पहले पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी से हरी झंडी मिलना बाकी है।भारतीय वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी जीन संवर्धित प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी हासिल की है, जिसमें साठ प्रतिशत अधिक प्रोटीन होगा। खास बात यह भी है कि इस प्रजाति में सेहत के लिए फायदेमंद समझे जानेवाले अमीनो एसिड, लाइसिन, टायरोसिन व सल्‍फर भी अधिक मात्रा में हैं, जो आम तौर पर आलू में बहुत सीमित होते हैं।

इस खोज को अंजाम देनेवाले नेशनल इंस्‍टीट्यूट फॉर प्‍लांट जीनोम रिसर्च की शोध टीम की प्रमुख शुभ्रा चक्रवर्ती का कहना है कि विकासशील और विकसित देशों में आलू मुख्य भोजन में शुमार है और इस खोज से काफी अधिक संख्या में लोगों को फायदा होगा। इससे आलू से बने पकवानों को स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद बनाया जा सकेगा। इसके अलावा वह इस खोज को जैव इंजीनियरिंग के लिए भी फायदेमंद मानती हैं। उनका कहना है कि इससे अगली पीढ़ी की उन्नत प्रजातियों को खोजने के लिए वैज्ञानिक प्रेरित होंगे।

विज्ञान पत्रिका "प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ सांइस" में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आलू की अन्य किस्मों के बेहतरीन गुणों से भरपूर इस किस्‍म को लोग हाथों-हाथ लेंगे। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रजाति में संवर्धित गुणसूत्रों वाली आलू की सबसे प्रचलित प्रजाति अमरनाथ के गुणसूत्रों को भी मिलाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार दो साल तक चले इस शोध में आलू की सात किस्मों में संवर्धित गुणसूत्र वाले जीन "अमरंथ एल्बुमिन 1 (AmA1)" को मिलाने के बाद नयी प्रजाति को तैयार किया गया है। प्रयोग में पाया गया कि इस जीन के मिश्रण से सातों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा 35 से 60 प्रतिशत तक बढ़ गयी। इसके अलावा इसकी पैदावार भी अन्य किस्मों की तुलना में प्रति हेक्टेएर 15 से 20 प्रतिशत तक ज्यादा है।

इसके उपयोग से होनेवाले नुकसान के परीक्षण में भी यह प्रजाति पास हो गयी। चूहों और खरगोशों पर किए गए परीक्षण में पाया गया कि इसके खाने से एलर्जी या किसी अन्य तरह का जहरीला असर नहीं हुआ है। रिपोर्ट में इस किस्म को हर लिहाज से फायदेमंद बताते हुए व्यापक पैमाने पर इसे पसंद किए जाने का विश्वास व्यक्त किया गया है। हालांकि अभी इसे उपयोग के लिए बाजार में उतारे जाने से पहले पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी से हरी झंडी मिलना बाकी है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी जीन संवर्धित प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी हासिल की है, जिसमें साठ प्रतिशत अधिक प्रोटीन होगा। खास बात यह भी है कि इस प्रजाति में सेहत के लिए फायदेमंद समझे जानेवाले अमीनो एसिड, लाइसिन, टायरोसिन व सल्‍फर भी अधिक मात्रा में हैं, जो आम तौर पर आलू में बहुत सीमित होते हैं।

इस खोज को अंजाम देनेवाले नेशनल इंस्‍टीट्यूट फॉर प्‍लांट जीनोम रिसर्च की शोध टीम की प्रमुख शुभ्रा चक्रवर्ती का कहना है कि विकासशील और विकसित देशों में आलू मुख्य भोजन में शुमार है और इस खोज से काफी अधिक संख्या में लोगों को फायदा होगा। इससे आलू से बने पकवानों को स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद बनाया जा सकेगा। इसके अलावा वह इस खोज को जैव इंजीनियरिंग के लिए भी फायदेमंद मानती हैं। उनका कहना है कि इससे अगली पीढ़ी की उन्नत प्रजातियों को खोजने के लिए वैज्ञानिक प्रेरित होंगे।

विज्ञान पत्रिका "प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ सांइस" में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आलू की अन्य किस्मों के बेहतरीन गुणों से भरपूर इस किस्‍म को लोग हाथों-हाथ लेंगे। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रजाति में संवर्धित गुणसूत्रों वाली आलू की सबसे प्रचलित प्रजाति अमरनाथ के गुणसूत्रों को भी मिलाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार दो साल तक चले इस शोध में आलू की सात किस्मों में संवर्धित गुणसूत्र वाले जीन "अमरंथ एल्बुमिन 1 (AmA1)" को मिलाने के बाद नयी प्रजाति को तैयार किया गया है। प्रयोग में पाया गया कि इस जीन के मिश्रण से सातों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा 35 से 60 प्रतिशत तक बढ़ गयी। इसके अलावा इसकी पैदावार भी अन्य किस्मों की तुलना में प्रति हेक्टेएर 15 से 20 प्रतिशत तक ज्यादा है।

इसके उपयोग से होनेवाले नुकसान के परीक्षण में भी यह प्रजाति पास हो गयी। चूहों और खरगोशों पर किए गए परीक्षण में पाया गया कि इसके खाने से एलर्जी या किसी अन्य तरह का जहरीला असर नहीं हुआ है। रिपोर्ट में इस किस्म को हर लिहाज से फायदेमंद बताते हुए व्यापक पैमाने पर इसे पसंद किए जाने का विश्वास व्यक्त किया गया है। हालांकि अभी इसे उपयोग के लिए बाजार में उतारे जाने से पहले पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी से हरी झंडी मिलना बाकी है।

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